महात्मा गांधी की प्रतिमा, कलेक्टर, एडीएम एवं जिला स्तरीय अधिकारियों ने ऩि-क्षय मित्र बन टीबी रोगियों को पोषण किट वितरित किए
कोटा ।
विश्व क्षय रोग दिवस जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन रविवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में एडीएम सीलिंग कृष्णा शुक्ला की अध्यक्षता में हुआ। इसमंे प्रधानमंत्री टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान के तहत टीबी मुक्त हुई जिले की 53 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त होने का प्रमाण व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा प्रदान किए गए। इन 53 ग्राम पंचायतों में 5 ग्राम पंचायतें ऐसी थी जो लगातर दूसरे वर्ष भी टीबी मुक्त घोषित हुई।
इन पंचायतो के सरपंच (प्रशासकों) को प्रमाण पत्र व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रजत प्रतिमा प्रदान कर सम्मानित किया। जबकि केवल इस वर्ष टीबी मुक्त घोषित हुई 48 ग्राम पंचायतों को प्रमाण पत्र के साथ महात्मा गांधी जी की कांस्य प्रतिमा प्रदान की गई। जिसे एडीएम सीलिंग कृष्णा शुक्ला, सीएमएचओ डॉ नरेन्द्र नागर व डीटीओ डॉ एसएन मीणा ने प्रदान किए।
इस मौके पर एडीएम सीलिंग कृष्णा शुक्ला ने कहा कि जिले की शेष ग्राम पंचायतों को भी टीबी मुक्त बनाने के लिए सामुहिक प्रयास किए जाए। उन्होने कहा कि चिकित्सा विभाग एवं पंचायती राज विभाग ये दो एजेंसी भारत को टीबी मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होने कहा कि ग्राम पचांयत स्तर पर सभी जनप्रतिनिधियों को नि-क्षय मित्र बनकर टीबी रोगियों को प्रत्येक माह पोषण किट उपलब्ध कराने का आग्रह किया। सीएमएचओ डॉ नरेन्द्र नागर ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित किसी भी अभियान की सफलता में जनप्रतिधियों की भूमिका अहम होती है, क्योंकि चिकित्सा कर्मियों की अपेक्षा आमजन सरपंचों द्वारा कही गई बातो को सुनते हैं, मानते हैं और अमल भी लाते हैं। इसमें संभावित टीबी मरीजो की बलगम जांच कराने के लिए प्रेरित करने व रोगी पाए जाने पर उसे पूर्ण उपचार लेने में मदद मिलती है।

डीटीओ डॉ एसएन मीणा ने बताया कि टीबी रोग प्रति जागरूकता के लिए प्रति वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस ’’यस वी केन एण्ड टीबी: कमिट, इन्वेस्ट, डिलिवर’’ थीम पर मनाया जा रहा है। उन्होने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
वहीं, भारत सरकार की ओर से टीबी रोगियों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार अवधि तक प्रति माह एक हजार रूपये की राशि उनके बैंक खाते में सीधे डीबीटी के माध्यम से प्रदान की जाती है। इनके अलावा भामाशाहों व अन्य नागरिकों के द्वारा नि-क्षय मित्र बनकर भी पोषण सहायता प्रदान करवाई जा रही है। उन्होने कहा कि टीबी रोग अब ला-ईलाज बीमारी नही हैं।
टीबी (क्षय) रोग माईकोबेक्ट्रियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होने वाला संक्रामक रोग है। इस इस रोग का पूर्ण निदान एवं उपचार अब उपलब्ध है। सरकारी चिकित्सा संस्थानों में तो टीबी की जांच, निदान एवं उपचार निःशुल्क है। इस दौरान टीबी मुक्त की शपथ भी दिलाई गई और 10 टीबी रोगियों को जिला कलेक्टर डॉ रविन्द्र गोस्वामी, एडीएम सिटी एवं एडीएम सीलिंग सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा उपल्बध कराए गए पोषण किटों का वितरण भी किया गया।
इस दौरान कार्यक्रम में सांगोद पंचायत समिति प्रधान जयवीर सिंह सहित सभी बीसीएमएओ, बीपीएम एवं कोटा शहर के चिकित्सा अधिकारी प्रभारी व टीबी क्लीनिक के चिकित्साधिकारी व कार्मिक आदि मौजूद रहे।
इन 6 मापदंडों पर घोषित किया जाता है टीबी मुक्त
■ संभावित टीबी रोगियों की जांच प्रतिवर्ष प्रति हजार लोगों पर 30 या अधिक टेस्ट।
■ टीबी नोटिफिकेशन दर प्रतिवर्ष प्रति हजार लोगों पर 1 या 1 से कम टीबी का मरीज।
■ उपचार की सफलता दर 85 प्रतिशत रोगी इलाज के बाद सही होने चाहिए।
■ ड्रग सस्पेक्टिबिलिटी टेस्ट 60 प्रतिशत मरीजों की हाइटेक मशीनों से टीबी की जांच।
■ निक्षय पोषण योजना का लाभ 100 प्रतिशत मरीजों को मिलना चाहिए।
■ निक्षय मित्रों से 100 प्रतिशत पोषण किटों का वितरण।
